'मन जीते जग जीत' ये बात हम सबने हजारों बार सुनी है। लेकिन कोई विरला ही इस पंक्ति के असल मायने समझ पाया होगा । कह देना जितना सरल है- मन जीते , जग जीत कर पाना उतना ही कठिन । लेकिन ये आसान हो सकता है । यदि हम मन के सहज भाव के साथ विश्वास और विश्वास व आस्था के साथ मन को जोड़ लेते है । इसे एक कहानी के माध्यम से समझने का प्रयत्न करते हैं।
एक बार एक व्यक्ति किसी महापुरुष के पास गया , लेकिन उनके शिष्यों ने उसे उस महापुरुष से मिलने की आज्ञा नहीं दी । वो व्यक्ति उस महापुरुष से दीक्षा ( नामदान ) लेने के लिए जाया करता था । लेकिन हर बार असफलता हाथ आई।
एक दिन मन में विश्वास लेकर कि आज सफल होकर ही लौटूँगा । वो फिर से उस स्थान पर चला गया , जहाँ वो महापुरुष रहा करते थे । कुछ देर बाद वो वहाँ से निकले , वो व्यक्ति उनके सामने जैसे ही आया उन्होंने कहा दूर हटो, दूर हटो । उस व्यक्ति ने सोचा यही नाम दिया है महापुरुष ने दूर हटो.. बस...!
बस आस्था और विश्वास के साथ वो दिन - रात नाम जपता रहा- दूर हटो , दूर हटो । धीरे धीरे उसके अंदर से राग -द्वेष, वैरभाव, ईर्ष्या, नफरत, मोह , क्रोध ये सब विकार दूर होने लगे । एक दिन वही महापुरुष उस व्यक्ति की कुटिया के सामने से निकले , तो वो बाहर वृक्ष के नीचे बैठा नाम जप रहा था, दूर हटो , दूर हटो ।
उन्होंने पूछा, तू ये क्या नाम जप रहा है? और किसने दिया ये नामदान तुम्हें? उस व्यक्ति ने पाँव पकड़कर कहा --महापुरुष आप ही ने ये नामदान दिया था, दूर हटो , दूर हटो । और इतना कहते ही सारा वृतांत सुना दिया । उन महापुरुष ने उस व्यक्ति के पाँव पकड़कर कहा आज तुमने मुझे मन में प्रबल इच्छा और विश्वास द्वारा उस नेक इच्छा की प्राप्ति का ज्ञान दिया। ईश्वर का एक ही नाम है और वह है--विश्वास।
टीना (लेखिका)
पुस्तक-विश्वास--एक आधार
+91 99996 48540
(नवोदित लेखिका टीना की कलम से ईश्वर प्राप्ति व उस अदृश्य शक्ति को महसूस करने हेतु रचित की गई यह पुस्तक ईश्वर प्राप्ति के साधकों व महसूस करने वालों हेतु सहज व सरल सिद्ध होगी।)

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